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रविवार, 17 अप्रैल 2022

हिन्दु पुरूष की विरासत (उत्तराधिकार अधिनियम 1956 व संशोधन 2005)

 

हिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम अध्ययन के दौरान किए गए कुछ विश्लेषण 😊  यदि कोई त्रुटी हो तो सुझाव अवश्य दें-

यहां निम्न शब्दों का उनके सम्मुख का संक्षिप्त रूप दिया गया है-

क्र. सं.

संक्षिप्त

पूर्ण रूप

01.

पोत्र

पूर्व मृत पुत्र का पुत्र

02.

पोत्री

पूर्व मृत पुत्र की पुत्री

03.

पोत्र का पुत्र/पुत्री(परपोत्र/परपोत्री)

पूर्व मृत पुत्र के पूर्व मृत पुत्र का पुत्र/पुत्री

04.

पोत्री की पुत्र/पुत्री

पूर्व मृत पुत्र की पूर्व मृत पुत्री की पुत्र/पुत्री

05.

दोहिता

पूर्व मृत पुत्री का पुत्र

06.

दोहिती

पूर्व मृत पुत्री की पुत्री

07.

दोहिते का पुत्र/पुत्री

पूर्व मृत पुत्री के पूर्व मृत पुत्र का पुत्र/पुत्री

08.

दोहिती की पुत्र/पुत्री

पूर्व मृत पुत्री की पूर्व मृत पुत्री की पुत्र/पुत्री

संपूर्ण पी.डी.एफ. डाउनलोड करने के लिए         यहां क्लिक करें

08.पुरुष की दशा में उत्तराधिकार के साधारण नियम- निर्वसीयत मरने वाले हिन्दू पुरुष की सम्पत्ति इस अध्याय के उपबन्धों के अनुसार निम्नलिखित को न्यागत होगी:

(क) प्रथमतः, उन वारिसों को, जो अनुसूची के वर्ग 1 में विनिर्दिष्ट सम्बन्धी हैं;

(ख) द्वितीयतः, यदि वर्ग 1 में वारिस न होतो उन वारिसों को जो अनुसूची के वर्ग 2 में विनिर्दिष्ट सम्बन्धी हैं;

(ग) तृतीयतः, यदि दोनों वर्गों में से किसी में का कोई वारिस न हो तो मृतक के गोत्रजों को, तथा

(घ) अन्ततः, यदि कोई गोत्रज न हो तो मृतक बन्धुओं को।

9. अनुसूची में के वारिसों के बीच उत्तराधिकार का क्रम अनुसूची में विनिर्दिष्ट वारिसों में के वर्ग 1 में के वारिस एक साथ और अन्य सब वारिसों का अपवर्जन करते हुए अंशभागी होंगे; वर्ग 2 में की पहली प्रविष्टि में के वारिसों को दूसरी प्रविष्टि में के वारिसों की अपेक्षा अधिमान प्राप्त होगा; दूसरी प्रविष्टि में के वारिसों को तीसरी प्रविष्टि में के वारिसों की अपेक्षा अधिमान प्राप्त होगा और इसी प्रकार आगे क्रम से अधिमान प्राप्त होगा।

10. अनुसूची के वर्ग 1 में के वारिसों में सम्पत्ति का वितरणनिर्वसीयत की संपत्ति अनुसूची के वर्ग 1 में के वारिसों में निम्नलिखित नियमों के अनुसार विभाजित की जाएगी

नियम 1-निर्वसीयत की विधवा को या यदि एक से अधिक विधवाएं हों तो सब विधवाओं को मिलाकर एक अंश मिलेगा।

नियम 2-निर्वसीयत के उत्तरजीवी पुत्रों और पुत्रियों और माता हर एक को एक-एक अंश मिलेगा।

नियम 3निर्वसीयत के हर एक पूर्व मृत पुत्र की या हर एक पूर्व मृत पुत्री की शाखा में के सब वारिसों को मिलाकर एक अंश मिलेगा।

नियम 4 नियम 3 में निर्दिष्ट अंश का वितरण-

(i) पूर्व मृत पुत्र की शाखा में के वारिसों के बीच ऐसे किया जाएगा कि उसकी अपनी विधवा को (या सब विधवाओं को मिलाकर) और उत्तरजीवी पुत्रों और पुत्रियों को बराबर भाग प्राप्त हों, और उसके पूर्व मृत पुत्री की शाखा को वही भाग प्राप्त हो।

(ii) पूर्व मृत पुत्री की शाखा में के वारिसों के बीच ऐसे किया जाएगा कि उत्तजीवी पुत्रों और पुत्रियों को बराबर भाग प्राप्त हो ।

11. अनुसूची के वर्ग 2 में के वारिसों में सम्पत्ति का वितरण-अनुसूची के वर्ग 2 में किसी एक प्रविष्टि में विनिर्दिष्ट वारिसों के बीच निर्वसीयत की सम्पत्ति ऐसे विभाजित की जाएगी कि उन्हें बराबर अंश मिले।

12. गोत्रजों और बन्धुओं में उत्तराधिकार का क्रम-गोत्रजों या बन्धुओं में, यथास्थिति, उत्तराधिकार का क्रम यहां नीचे दिए हुए अधिमान के नियमों के अनुसार अवधारित किया जाएगा

नियम 1दो वारिसों में से उसे अधिमान प्राप्त होगा जिसकी उपरली ओर की डिग्रियां अपेक्षातर कम हों या हों ही नहीं।

नियम 2-जहां कि उपरली ओर की डिग्रियों की संख्या एक समान हो या हों ही नहीं उस वारिस को अधिमान प्राप्त होगा जिसकी निचली ओर की डिग्रियां अपेक्षातर कम हों या हों ही नहीं।

नियम 3-जहां कि नियम 1 या नियम 2 के अधीन कोई भी वारिस दूसरे से अधिमान का हकदार न हो वहां वे दोनों साथ-साथ अंशदायी होंगे।

13. डिग्रियों की संगणना

(1) गोत्रजों या बन्धुओं के बीच उत्तराधिकार क्रम के अवधारण के प्रयोजन के लिए निर्वसीयत से, यथास्थिति, उपरली डिग्री या निचली डिग्री या दोनों के अनुसार के वारिस के सम्बन्ध की संगणना की जाएगी।

(2) उपरली डिग्री और निचली डिग्री की संगणना निर्वसीयत को गिनते हुए की जाएगी।

(3) हर पीढ़ी एक डिग्री गठित करती है चाहे उपरली चाहे निचली।

 


शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

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